Thursday 10th of April 2025
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सुश्री मनीषा खटाटे
( वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रधान संपादक – अनंत शोध सृजन , नासिक , महाराष्ट्र )
हमारी सभ्यता का वर्तमान, इतिहास के कुछ पन्नों का ऐसा अस्तित्व है जो भविष्य के लिए संघर्षरत रहता है........और जब सत्य और चेतना की शक्ति के अनुबंध चरित्र के आयाम को अपनी संपूर्णता में अभिव्यक्त करने लगता है तो इतिहास की हाथों से अपने अस्तित्व की लड़ाई तथा संघर्ष की आकांक्षा एक महान चरित्र का निर्माण भी करती है और संघर्ष की विजय गाथा एक साम्राज्य का निर्माण भी करती है........मानव सभ्यता की मिटने तथा उत्थान की अनगिनत शौर्य गाथायें इतिहास की पन्नों में दर्ज हैं जिसमे से कुछ तो मिथक जैसी लगती है और कुछ सत्य की चेतना पर आज भी समसामयिक लगती है।किसी चरित्र का समसामयिक होना यह इतिहास की महान उपलब्धियों में सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि है।शिवाजी महाराज के स्वराज्य निर्माण का गौरवशाली इतिहास एक ऐसी ही एक गौरव गाथा मराठा साम्राज्य की है जिसने हिंदवी साम्राज्य की पताका इस्लाम,पुर्तुगिज ,आदिलशाही,निझामशाही के काले आसमान की पृष्ठभूमि होते हुए लहराई है। उस गौरवशाली महान राजा का नाम है शिवाजी महाराज........।शहाजीराजे और जीजाऊ के पूत्र शिवाजी महाराज समूचे दूनियां के महानतम चरित्रों में से एक है जो आज तक अपने पराक्रमों से दूनियां को अपनी अद्वितिय नीतियों द्वारा मार्गदर्शन करते आ रहे है।शिवाजी महाराज के चरित्र को लेकर अनेकानेक ग्रंथ लिखे गये है परंतु उनके अनछुहे तथ्य,कथ्य के उपर मराठी भाषा के लोकप्रिय तथा अलौकिक प्रतिभा के धनी और विख्यात उपन्यासकार श्री.विश्वास पाटील की शिवाजी महाराज के उपर उपन्यास शृंख़ला "महासम्राट,रणखैंदळ...."आदी में स्पष्ट किया हैं।शहाजीराजे,जीजाऊ,शिवाजी और संभाजी मराठी मानस या भारत के लिए ऐसे नाम है जिनकी गौरवशाली चरित्रों ने हमारे दिलों पर हमेशा राज किया है.....।
एक वर्ष पहले ही "महासम्राट" (झंझावात) मराठी भाषा में प्रथम प्रकाशित हुआ है। इस उपन्यास ने मराठी मानस पर या दिलों पर ऐसा जादू किया है जो अभी तक उतरता दिखता नहीं हैं । मराठी उपन्यास "महासम्राट" (पहला खण्ड - झंझावात) का हिंदी अनुवाद रवि बुले ने किया है और इस उपन्यास को ' राजकमल प्रकाशन,दिल्ली ' ने प्रकाशित किया है।मराठी में इस उपन्यास की शुरुवाती ५ माह में २०००० से ज्यादा प्रतियां बिक चूकी थी जो अपने आप में मराठी साहित्य में एक अनोख़ा कीर्तिमान है।
उपन्यासकार विश्वास पाटील का शिवाजी महाराज के चरित्र के प्रति अनंत प्रेम तथा सत्य - शोध के लिए प्रचंड साहस भरी यात्राएं जो और एक नए उपन्यास का विषय हो सकती है।स्वराज्य निर्माण करने के लिए शिवाजी महाराज ने जितनी मेहनत की है उतनी ही मेहनत और परिश्रम उपन्यासकार विश्वास पाटील ने शिवाजी के चरित्र को और उनकी युद्ध नीति को या स्वराज्य निर्माण को समझने के लिए और वह सारा इतिहास पाठकों के लिए उपलब्ध हो इसलिए भी की है।शिवाजी महाराज के चरित्र निर्माण में उनके पिता शहाजी राजे और माता जिजाऊ की मुख्य भूमिका रही है।यह उपन्यास पढ़ते समय हमेशा यह सत्य प्रतित होता है कि शिवाजी महाराज के चरित्र की न जाने कितनी पर्ते है जो आज तक हम समझ ही नहीं सके हैं।इस उपन्यास की विशेषता यह भी है की कदम - कदम पर शिवाजी महाराज के चरित्र को समझते - आंकलन करते हुए इतिहास की अंधेरी गुँफाओं का सफर करके आते है इसका हमें पता ही चलता........।स्वराज्य निर्माण का स्वप्न शिवाजी महाराज की माँ जीजाऊ ने शिवाजी को दिया था परंतु उस स्वप्न पूर्ति के पथ का निर्माण उनके पिता शहाजीराजे ने किया था,स्वराज्य निर्माण का स्वप्न यह ईश्वर की इच्छा है .....इस पर प्रगाढ़ श्रद्धा रखते हुए शिवाजी महाराज ने अपने जीवन को युद्ध - चरित्र में एक गौरवशाली राजा के रूप में सिर्फ स्थापित ही नहीं किया अपितु मराठा साम्राज्य का निर्माण भी किया जो समूचे मानव जाति का प्रेरणा स्थान बन चूका है।
शिवराय के चरित्र की नींव शहाजीराजे ने बचपन से ही रखी थी,हमें इस उपन्यास के द्वारा शहाजीराजे के चरित्र से शिवाजीराजे का चरित्र समझ पाने का अवसर प्राप्त हो रहा है जो इतिहास को सत्य की शक्ति और सत्य की चेतना से छोटा दिखाता है।इस उपन्यास से हम इतिहास को शहाजीराजे और शिवाजीराजे के महान चरित्रों से समझने में सक्षम हो रहे है ...........।
उपन्यास के आरंभ में लेखक विश्वास पाटील 'शिवराय की तलाश में'अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए लिखते है की शिवाजी महाराज के चरित्र को एक ही उपन्यास में समेट पाना कठीन कार्य है ।इसलिए उन्होंने "महासम्राट"नाम से उपन्यास शृंखला लिखने का संकल्प किया।आगे अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए पाटील लिखते है कि "महासम्राट" का आधार इतिहास सत्य की दिव्य दृष्टि से प्रकाशित हो .....इस पर है।मराठी इतिहासकारों के संदर्भ में यह टिप्पणी करते है कि शिवाजी के चरित्र निर्माण के पिछे उनके पिता शहाजी राजे हिमालय जैसे खड़े थे .....जिसकी उपेक्षा हमेशा की गई है।शहाजी राजे के व्यक्तित्व की अद्वितिय,अद्भुत विशेषता पर प्रकाश डालते हुए पाटील लिखते है की जिन सेनापति शहाजीराजे ने भातवड़ी में आदिलशाह की सेना को पराजित किया था,उनका भारी नुकसान किया था ,उसी आदिलशाह को अपने वैभव वृद्धि के लिए शहाजी महाराज को 'सेनापति'बनाना पड़ा,ऐसी घटना इतिहास में अभूतपूर्व है या संभवतः कहीं और घटी नहीं होगी ।शिवाजीराजे ही शहाजी महाराज के चरित्र का विराट पराक्रम तथा अलौकिक का विस्तार तथा अवतार है ऐसा कहना भी गलत नहीं होगा।