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राष्ट्रभाषा हिन्दी की गौरव गाथा

Fri, Sep 15th 2023 / 11:01:21 साहित्य
 राष्ट्रभाषा हिन्दी की गौरव गाथा

          – राजयोगिनीबी.के. संगीताबहन

राष्ट्रीयआध्यात्मिकसलाहकारप्रमुख , अखिलभारतीयहिंदीमहासभा – नईदिल्ली .


अंतर्निहित अंतरचक्षु  में समाहित उदगार लिए । 

अतःप्रेरणा की प्रस्फुटन का आगार है हिंदी ।।

अंतःकरण में प्रेम की मधुर अभिव्यक्ति लिए ।

राष्ट्र स्नेहिल हृदय की उच्चतम भावना है हिंदी ।।



संबंधों की प्रगाढ़ता का श्रेष्ठतम गठजोड़ लिए । 

व्यावहारिक आत्मीयता संग मिलाप है हिंदी ।।

सुसंस्कृत शैली युक्त सादगी का प्रमाण लिए ।

परस्पर अपनत्व भाव अंतर में जगाती है हिंदी ।।

 

परदेश के परिवेश में आदर स्वागत सत्कार लिए । 

आगमन हो , अतिथि देव भाव , पुजाती है हिंदी ।।

संबोधन , अभिवादन , समाज कार्य को संग लिए ।

सादर प्रणाम , हाथ जोड़कर सर्व को झुकाती है हिंदी ।।                   

 

 विराटता की धनी भाषा , असंख्य शब्दकोश लिए ।

सभ्यता , संस्कृति के सिंचित प्रभाव दिखाती है हिंदी ।। 

वार्तालाप में मधुरता की सौम्यता सुरुचि सम्मान लिए ।

वात्सल्य हृदय में , वीणा से झंकृत करती है हिंदी ।। 

 

  हर मानव के अंतरमन में आनंद का भाव लिए ।

भाव भंगिमाओं से प्रेम रंग में डुबाती है हिंदी ।।

तीज त्योहारों में आत्म मिलन का आह्वान लिए ।

गोपियों संग कान्हा का महारास कराती है हिंदी ।।

 

रोजगार हो , कई आयामों में सफलता का साथ लिए ।

जीवन में उन्नति की निरंतर सीढ़ी चढ़ाती है हिंदी ।।

सभी भाषाओं सहित हिंदी का मान सम्मान लिए । 

यह मात्र , भाषा नहीं मातृभाषा कहलाती है हिंदी ।।

 

भारत वर्ष की सर्वश्रेष्ठ भाषा की महिमा लिए । 

हर भारतीय के पावन हृदय की गरिमा है हिंदी ।।

भाषा की विशुद्धि से व्यवहारिकता की शुद्धि लिए ।

ज्ञानी के आत्म ज्ञान का शंखनाद करती है हिंदी ।।

 

परतंत्र अब देश नहीं परतंत्र भाषा की सभ्यता लिए ।

देश की स्वतंत्रता संग ,सभ्यता स्वतंत्र कराती है हिंदी ।।

स्वतंत्रता के बिगुल संग खुशियों की झंकार लिए ।

अन्य भाषाओं संग मातृवत संबंध निभाती है हिंदी ।।

 

दिव्यता और निसर्ग संग , भव्यता के दर्शन लिए ।

जन - जन को संपूर्ण संस्कारित बनाती है हिंदी ।।

स्वर संग ,व्यंजन मिश्रण का अनोखा सामंजस्य लिए ।

सुमधुर सुर , ताल संग , सरगम संगीत गाती है हिंदी ।। 

 

विलोम , पर्याय संग – प्रत्यय , उपसर्ग लिए ।

अलंकारों संग , संधि विच्छेद कराती है हिंदी ।।

गर्व से ऊंचा मस्तक , भारत का सम्मान लिए ।

दुनिया में अपनों को अपनों से मिलाती है हिंदी ।।

 

क्लिष्ट से क्लिष्ट , हर प्रश्न के प्रत्युत्तर लिए ।

सरलतम् सूत्र से समाधान कराती है हिंदी ।।

जग को जागृत करें , हर वर्ग को संग लिए ।

जनहित ,जनशक्ति संग होकर अविराम है हिन्दी ।।

 

जीवन के नव पथ का सुंदर आधार निर्माण लिए ।

राष्ट्रभाषा की पदवी से सुसज्जित विराजित है हिन्दी ।।

पहुंचकर उन्नति के महान शिखर पर यशगान लिए ।

स्वतंत्र देश में राष्ट्रभाषा की सदा गौरव गाथा है हिंदी ।।     

 

    – राजयोगिनी  बी.के. संगीता बहन , 

       राष्ट्रीय आध्यात्मिक सलाहकार प्रमुख , 

       अखिल भारतीय हिंदी महासभा – नई दिल्ली .


 

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